1. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा

आज सुबह अचानक खबर आई कि‌ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया है। उन्होंने मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले ही यह कदम उठाया, जिससे संसद में हलचल मच गई है। राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष का हंगामा तेज हो गया है, जबकि भाजपा सरकार को भी रणनीतिक रूप से नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।


2. राज्यसभा स्पीकर की सीट खाली होने से उठते सवाल

धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब राज्यसभा का नेतृत्व खाली हो गया है, जिससे इस भूमिका को भरने के लिए भाजपा गहराई से विचार कर रही है। विपक्षी दल अब अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं और इस बहस से संसद की कार्यवाही आधे से अधिक समय के लिए प्रभावित हो सकती है । इस सीट की रिक्ति से गठबंधन और शक्ति समीकरण में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है।


3. संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष का हंगामा

आज के सत्र में विपक्ष ने “ऑपरेशन सिंदूर” और SIR विधेयक जैसे मसलों पर कठोर नारों की आवाज़ लगाई। परिणामस्वरूप, सदन के कामकाज को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया गया। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान सत्र अपेक्षाकृत शांत नहीं रहेगा, बल्कि टकरावपूर्ण मोड़ ले सकता है।


4. Mayawati का ‘राजनीति से परे’ आह्वान

बसपा प्रमुख मायावती ने मॉनसून सत्र की शुरुआत पर उपस्थिति देते हुए सरकार व विपक्ष से आग्रह किया कि वे राजनीति से ऊपर उठकर देशहित के मुद्दों – जैसे महंगाई, बेरोज़गारी, महिला सुरक्षा और आतंरिक सुरक्षा – पर मिलकर काम करें । उनका यह रवैया संसद के शिष्टाचार और एकता की जिम्मेदारी पर नए दृष्टिकोण पेश करता है।


5. महाराष्ट्र में ‘महायुति’ में उद्धव ठाकरे को न्योता

महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ आया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बाद अब भाजपा नेता अशोक चव्हाण ने उद्धव ठाकरे को “महायुति” गठबंधन में स्वागत का ऑफर दिया है। यदि ठाकरे इस प्रस्ताव पर सहमत होते हैं, तो महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा तेज़ी से बदल सकती है। पूरी राज्य की सियासत में यह नया समीकरण और गठबंधन की संभावनाएँ उजागर कर सकता है Navbharat Times


6. बिहार में NDA के भीतर तनाव – JDU बनाम BJP

बिहार की राजनीति में भी आंतरिक उथल-पुथल जारी है। NDA में जदयू और भाजपा के बीच प्रह्लाद यादव मामले को लेकर कड़वाहट बढ़ी है, जिससे ललन सिंह और अशोक चौधरी जैसे आमने-सामने नजर आ रहे हैं। यह तनाव सरकार की स्थिरता व आगामी चुनाव गुरुत्व में प्रभाव डाल सकता है।


7. सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई – राष्ट्रपति/राज्यपाल निर्णय की ‘डेडलाइन’

सुप्रीम कोर्ट में आज राष्ट्रपति और राज्यपालों के निर्णय को समयबद्ध करने संबंधी एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुनवाई हुई। इसमें संविधान पदों पर नियुक्त अधिकारियों द्वारा प्रस्तावों को लंबा समय तक लंबित रखने पर रोक लगाने की मांग उठी है । यह कदम कार्यपालिका जवाबदेही और राजनीतिक पारदर्शिता के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।


निष्कर्ष और आगे का दृष्टिकोण

आज की सारी खबरें यह संकेत देती हैं कि राजनीतिक सियासत के तमाम रंग इस समय कहीं अधिक जटिल और गतिशील हैं:

  • उपराष्ट्रपति की भूमिका खाली होना सीधे राज्यसभा की कार्यवाही और संसद में फैसलों पर असर डाल सकता है।
  • महाराष्ट्र में नया गठबंधन हो सकता है, जिससे राज्य की चुनावी दिशा बदल सकती है।
  • बिहार में गठबंधन तनाव भविष्य में चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट का कदम समावेशी व जवाबदेह शासन की दिशा में कार्यकारी इरादों को दिशा देगा।

इन सब घटनाक्रमों पर अब जनता की नज़र संसद की कार्यवाही, पार्टियों की रणनीति और चुनावी समीकरणों पर टिकी है। आने वाले दिनों में इन अहम खबरों का आगे का असर देश की राजनीति पर स्पष्ट रूप से दिखेगा।